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सेन्सेइ से पूछें

'देशोउ' का इस्तेमाल करने का तरीक़ा (पाठ 43)

'देशोउ' का इस्तेमाल वाक्य के अन्त में, भविष्य के बारे में या किसी अनिश्चित घटना के बारे में अपना अनुमान बताने के लिए होता है।
जब यह शब्द संज्ञा या विशेषण के बाद लगता है तब वाक्य के अन्त के 'देसु' को बदलते हैं 'देशोउ' में।

मान लीजिए आपको कहना है “कल शायद बारिश हो”। तो “आने वाले कल” के लिए जापानी शब्द है 'आशिता' और “बारिश” को कहते हैं 'आमे'। तो “कल बारिश होगी” के लिए जापानी वाक्य होगा 'आशिता वा आमे देसु'। और 'देसु' को बदल दिया 'देशोउ' में तो बन गया 'आशिता वा आमे देशोउ' यानी “कल शायद बारिश हो”।

जब शब्द 'देशोउ' क्रिया के बाद लगता है, तब क्रिया को उसके मूल रूप या 'नाइ'-रूप में बदलकर, उसके बाद 'देशोउ' लगाते हैं। जैसे, अगर आपको कहना हो “शायद वह जाए”, तो पुरुषों के लिए “वह” को जापानी में कहते हैं 'कारे' और क्रिया “जाना” के लिए शब्द है 'इकिमासु'। इसलिए “वह जाएगा” के लिए जापानी वाक्य होगा 'कारे वा इकिमासु'। अब 'इकिमासु' को बदल दीजिए उसके मूल रूप में जो है 'इकु' और उसके बाद जोड़िए 'देशोउ' तो वाक्य बना 'कारे वा इकु देशोउ'।

25वें पाठ में हमने सीखा था शब्द 'योउ दा' यानी “शायद” जो 'योउ देसु' का अनौपचारिक रूप है। इसका मतलब भी 'देशोउ' जैसा ही है लेकिन दोनों में थोड़ा अन्तर है।
जैसे,
'कारे वा इकु योउ देसु' का मतलब है “शायद वह जाए”।
और
'कारे वा इकु देशोउ' का भी मतलब है “शायद वह जाए”।
लेकिन इनमें से 'योउ देसु' और 'योउ दा' का मतलब है कि किसी ने स्थिति का आकलन करके हालात के बारे में अपनी राय बनाई है। जबकि 'देशोउ' का इस्तेमाल भविष्य के बारे में अनुमान लगाने के लिए करते हैं।
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