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सेन्सेइ से पूछें

विशेषण के दो प्रकार (पाठ 13)

जापानी भाषा में मुख्य तौर से विशेषण के दो प्रकार होते हैं। इनमें से एक है, 'इ'-विशेषण जिसका अंतिम अक्षर 'इ' होता है। जैसे 'हिरोइ' यानी “खुला-खुला” या “बड़ा” और 'आताराशिइ' यानी “नया”।

जापानी भाषा में विशेषण अक्सर उस संज्ञा से पहले आता है जिसका वह वर्णन करता है। जैसे “नई किताब” यानी 'आताराशिइ होन्'। इसके अलावा बहुत सारे विशेषण ऐसे होते हैं जिनके अंत में 'इ' अक्षर नहीं लगता। इन्हें 'ना'-विशेषण कहते हैं। जैसे इस पाठ में आया 'सुकि' यानी “पसन्द होना”। इस शब्द का अंतिम अक्षर 'इ' नहीं 'कि' है। ये विशेषण जब संज्ञा के पहले लगते हैं तो इनके अंत में 'ना' लगाते हैं। जैसे अगर आपको कहना है “पसंदीदा किताब” तो जापानी में कहिए 'सुकिना होन्'।
लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। कुछ 'ना'-विशेषण ऐसे भी हैं जिनका अंतिम अक्षर 'इ' होता है। जैसे 'किरेइ' यानी “सुन्दर” या 'युउमेइ' यानी “प्रसिद्ध” या फिर, 'तोकुइ' यानी “कोई काम आसानी से और अच्छी तरह से करना”। ये विशेषण 'इ' अक्षर से ख़त्म तो होते हैं लेकिन संज्ञा से पहले लगने पर, इनके अंत में 'ना' लगाते हैं। जैसे “सुंदर किताब” को 'किरेइ होन्' नहीं 'किरेइना होन्' कहेंगे।
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