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सेन्सेइ से पूछें

क्रिया का मूल-रूप + माए नि (पाठ 46)

जब एक काम करने से पहले कोई दूसरा काम किया हो तो दूसरे काम के बाद 'माए नि' यानी “से पहले” लगाते हैं। 'माए नि' के पहले वाली क्रिया हमेशा मूल-रूप में होती है। अगर पूरा वाक्य भूतकाल में हो, तब भी 'माए नि' से पहले आने वाली क्रिया का मूल-रूप ही लगाया जाता है।

एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए आपको कहना है - “खाना खाने से पहले, हाथ धोए”। तो संज्ञा “खाना” के लिए शब्द है 'गोहान्', और क्रिया “खाना” को कहते हैं 'ताबेमासु'। इसका मूल-रूप है 'ताबेरु'। “हाथ” को जापानी में कहते हैं 'ते' और क्रिया “धोना” के लिए शब्द है 'आराइमासु'। इसका भूतकाल रूप है 'आराइमाशिता'। तो वाक्य बना 'गोहान् ओ ताबेरु माए नि, ते ओ आराइमाशिता'। लेकिन जब इस बात पर ज़ोर देना हो कि एक काम करने के बाद कोई दूसरा काम किया, तो पहले काम के बाद 'आतो दे' यानी “के बाद” लगाते हैं। 'आतो दे' से पहले आने वाली क्रिया हमेशा 'ता'-रूप यानी भूतकाल या क्रिया का समापन बताने वाले रूप में होती है। अगर पूरा वाक्य वर्तमान काल में हो, तब भी 'आतो दे' से पहले आने वाली क्रिया के 'ता'-रूप का इस्तेमाल होता है।

जैसे अगर आप कहना चाहते हों कि “खाना खाने के बाद, थाली धोता हूँ/धोती हूँ”। तो क्रिया “खाना” यानी 'ताबेमासु' का 'ता'-रूप है 'ताबेता'। “थाली” के लिए शब्द है 'सारा' और इसे विनम्र बनाने के लिए जोड़ा उपसर्ग 'ओ' तो बन गया 'ओसारा'। तो वाक्य बना 'गोहान् ओ ताबेता आतो दे, ओसारा ओ आराइमासु'।
तो दोस्तो, याद कर लीजिए 'माए नि' यानी “से पहले” जिस क्रिया के बाद लगता है उसके मूल-रूप का इस्तेमाल होता है और 'आतो दे' यानी “के बाद” से पहले हमेशा क्रिया का 'ता'-रूप लगाते हैं।
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