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सेन्सेइ से पूछें

क्रिया का 'नाइ'-रूप + 'नाकेरेबा नारिमासेन्' (पाठ 36)

कुछ करना ज़रूरी है, यह कहने के लिए क्रिया के 'नाइ'-रूप में से 'नाइ' हटा कर, उसकी जगह 'नाकेरेबा नारिमासेन्' जोड़ते हैं।

जैसे, अगर आपको कहना हो कि “पढ़ाई करनी ज़रूरी है” तो इसके लिए पहले क्रिया 'बेन्क्योउ शिमासु' यानी “पढ़ाई करना” का 'नाइ'-रूप बनाइए, जो है 'बेन्क्योउ शिनाइ'। उसके बाद, 'नाइ' की जगह लगाइए 'नाकेरेबा नारिमासेन्' तो बन जाएगा 'बेन्क्योउ शिनाकेरेबा नारिमासेन्'। अनौपचारिक बातचीत में 'नाकेरेबा नारिमासेन्' (यानी “करना ज़रूरी है”) की जगह 'नाक्या' का इस्तेमाल करते हैं। जैसे 'बेन्क्योउ शिनाक्या'।

जब कोई काम करने की ज़रूरत न हो, तब क्रिया के 'नाइ'-रूप के 'नाइ' की जगह लगाते हैं 'नाकुतेमो इइ देसु' यानी “करना ज़रूरी नहीं है”। तो अगर कहना हो कि पढ़ाई करनी ज़रूरी नहीं है, तब 'बेन्क्योउ शिनाइ' (यानी “पढ़ाई न करना”) के 'नाइ' को बदल दीजिए 'नाकुतेमो इइ देसु' में, तो बन जाएगा 'बेन्क्योउ शिनाकुतेमो इइ देसु'।

लेकिन पढ़ाई करना तो महत्वपूर्ण है न?
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