एनएचके वर्ल्ड > संग सीखें जापानी > हिन्दी का पहला पन्ना > सेन्सेइ से पूछें > 'न् दा': किसी को कुछ समझाते हुए बोलने का तरीक़ा (पाठ 29)

सेन्सेइ से पूछें

'न् दा': किसी को कुछ समझाते हुए बोलने का तरीक़ा (पाठ 29)

'न् दा' बना है 'नो दा' से। जब बोलने वाला कोई परिस्थिति या कारण समझाना चाहता हो, तब वाक्य के अन्त में 'नो दा' का इस्तेमाल किया जाता है।

बोलचाल में यह 'न् दा' बन जाता है और विनम्र बातचीत में 'न् देसु' का प्रयोग करते हैं।

'नो दा' से पहले आने वाली क्रिया 'मासु'-रूप में नहीं, मूल-रूप या भूतकाल रूप में होती है। मान लीजिए आप किसी को समझाना चाहते हैं कि “जब वह बादल दिखाई देता है तब बारिश होती है”। तो “बारिश होती है” को जापानी भाषा में कहते हैं 'आमे गा फ़ुरिमासु'। क्रिया 'फ़ुरिमासु' का मूल रूप है 'फ़ुरु' और उसमें जोड़ा 'न् दा' तो बन गया 'आमे गा फ़ुरु न् दा'। इसका विनम्र रूप होगा 'आमे गा फ़ुरु न् देसु'।

जब 'नो दा' से पहले संज्ञा या 'ना'-विशेषण लगते हैं तब 'नो दा' की जगह लगाया जाता है 'नानो दा'। तो 'न् दा' बन जाएगा 'नान् दा'। अब मान लीजिए कि आप किसी को यह वजह बता रहे हों कि “काम है”। “काम” के लिए जापानी भाषा का शब्द है 'शिगोतो'। तो अनौपचारिक बातचीत में कारण बताते हुए आप कहेंगे 'शिगोतो नान् दा' और विनम्र बातचीत में कहेंगे 'शिगोतो नान् देसु'।
*आप एनएचके की वैबसाइट से बाहर चले जाएँगे।