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सेन्सेइ से पूछें

क्रिया का स्वैच्छिक रूप (पाठ 26)

'गान्बारोउ' यानी “मेहनत करेंगे”, क्रिया 'गान्बारिमासु' का “स्वैच्छिक रूप” है। यह बोलने वाले की इच्छा दर्शाता है। इसका इस्तेमाल, सुनने वाले को साथ में कुछ करने के लिए आमन्त्रित करने या उससे कुछ करने का आग्रह करने के लिए भी होता है। उम्र या पद में अपने से बड़े व्यक्ति के लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता।
क्रिया के 'मासु'-रूप से स्वैच्छिक रूप बनाने का तरीक़ा सीखें। पहले बात करते हैं उन क्रियाओं की जिनमें 'मासु' से पहले 'ए' की ध्वनि वाले अक्षर आते हैं। इन क्रियाओं में अन्त के 'मासु' को बदल दें 'योउ' में। जैसे, क्रिया 'ताबेमासु' यानी “खाना” का स्वैच्छिक रूप है 'ताबेयोउ' यानी “खाएँगे”।

इसके बाद, उन क्रियाओं की बारी जिनमें 'मासु' से पहले 'इ' की ध्वनि वाले अक्षर आते हैं। इनमें दो तरह की क्रियाएँ हैं। एक वो जिनका स्वैच्छिक रूप बनाने के लिए 'मासु' को 'योउ' में बदलते हैं। जैसे 'ओकिमासु' यानी “जागना” का स्वैच्छिक रूप है 'ओकियोउ' यानी “जागेंगे”। और 'शिमासु' यानी “करना” का स्वैच्छिक रूप है 'शियोउ' यानी “करेंगे”।

दूसरी तरह की क्रियाएँ वे हैं जिनमें 'मासु' हटाकर, अन्त में बचे 'इ' की ध्वनि वाले अक्षर को उसी वर्ग के 'ओ' की ध्वनि वाले अक्षर में बदलते हैं और उसके बाद 'उ' लगाते हैं। जैसे इस पाठ में आई क्रिया 'गान्बारिमासु' यानी “मेहनत करना” का स्वैच्छिक रूप है 'गान्बारोउ' यानी “मेहनत करेंगे”। इस शब्द में पाँच अक्षर हैं 'गा' 'न्' 'बा' 'रो' और 'उ' और इसका उच्चारण है 'गान्बारो'। इसमें 'रो' का उच्चारण लम्बा रखा जाता है।

इस नियम का अपवाद क्रिया 'किमासु' यानी “आना” जिसका स्वैच्छिक रूप है 'कोयोउ' यानी “आएँगे”।
“अध्ययन सामग्री” में देखें।
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