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सेन्सेइ से पूछें

विशेषण + 'सोउ' (पाठ 17)

'ओमोशिरोसोउ' यानी “दिलचस्प लगता/लगती है” की तरह, विशेषण के अन्त में 'सोउ' जोड़ कर, आप कुछ देखने या सुनने के बाद का अपना अनुमान या अन्दाज़ा बता सकते हैं।

पाठ 13 में हमने सीखा था कि जापानी भाषा में दो प्रकार के विशेषण होते हैं। एक है 'इ'-विशेषण। इन विशेषणों के अन्त में 'इ' लगा होता है। जैसे 'ओमोशिरोइ' यानी “दिलचस्प” या 'इसोगाशिइ' यानी “व्यस्त”। दूसरे प्रकार के विशेषण हैं 'ना'-विशेषण। ये विशेषण जब किसी संज्ञा के तुरन्त पहले आते हैं, तब इनके अन्त में 'ना' जुड़ जाता है। जैसे 'हिमा' यानी “काम कम होना”।

'इ'-विशेषण में 'सोउ' जोड़ने के लिए, विशेषण के अन्त के 'इ' की जगह 'सोउ' लगाएँ। जैसे, 'इसोगाशिइ' यानी “व्यस्त” से बनेगा, 'इसोगाशिसोउ' यानी “व्यस्त लगना”।

'ना'-विशेषणों में आपको सिर्फ़ अन्त में 'सोउ' जोड़ना है। जैसे 'हिमा' यानी “काम कम होना” से बनेगा 'हिमासोउ' यानी “लगता है काम कम है”।
'सोउ' का नकारात्मक रूप बनाने के लिए, 'इ'-विशेषणों में, अन्त के 'इ' को बदलिए 'कु नासासोउ' में। जैसे, 'इसोगाशिइ' यानी “व्यस्त” से बनेगा 'इसोगाशिकु नासासोउ' यानी “व्यस्त न लगना”।

और 'ना'-विशेषणों में, विशेषण के अन्त में जोड़िए 'देवा नासासोउ'। जैसे, 'हिमा' यानी “काम कम होना” का नकारात्मक रूप होगा 'हिमा देवा नासासोउ' यानी “लगता है काम कम नहीं है”।
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