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सेन्सेइ से पूछें

मोराइमासु (पाठ 45)

'आगेमासु' और 'कुरेमासु' का मतलब है “देना”, जबकि 'मोराइमासु' का मतलब है “मिलना”, “पाना” या “लेना”। जापानी भाषा में, वाक्य में इनमें से किस क्रिया का इस्तेमाल करना है ये दो बातों पर निर्भर करता है। पहला यह कि देने वाला वाक्य का कर्ता है या पाने वाला। और दूसरा यह कि पाने वाला कौन है। जब देने वाला वाक्य का कर्ता होता है तब “देने” की क्रियाओं 'आगेमासु' और 'कुरेमासु' में से एक का इस्तेमाल करते हैं।

अगर कोई, बोलने वाले को या उसके किसी करीबी व्यक्ति को कुछ दे रहा हो, तब क्रिया 'कुरेमासु' का प्रयोग होता है। जैसे अगर केन्ता, आन्ना को तस्वीर देने वाले हों तो आन्ना इस बात को कैसे बताएँगी? “तस्वीर” के लिए जापानी शब्द है 'शाशिन्', “मैं” को कहते हैं 'वाताशि' और जिसको चीज़ मिलती है उसके साथ लगाते हैं कारक 'नि'। तो आन्ना कहेंगी 'केन्ता वा वाताशि नि शाशिन् ओ कुरेमासु' यानी “केन्ता मुझे तस्वीर देंगे”।

“देने” की एक और क्रिया है 'आगेमासु'। इसका इस्तेमाल दो परिस्थितियों में हो सकता है। पहली, जब बोलने वाला किसी को कुछ दे रहा हो। और दूसरी, जब कोई और व्यक्ति किसी को कुछ दे रहा हो, लेकिन पाने वाला बोलने वाले का करीबी व्यक्ति न हो। जैसे अगर आपको बोलना हो कि “केन्ता, आन्ना को तस्वीर देंगे”, तो आप कहेंगे 'केन्ता वा आन्ना नि शाशिन् ओ आगेमासु'।

जब कुछ पाने वाला, वाक्य का कर्ता हो, तो क्रिया 'मोराइमासु' यानी “मिलना” का इस्तेमाल होता है। और देने वाले के साथ कारक 'नि' लगता है। अगर आन्ना को केन्ता से तस्वीर मिलने वाली हो तो यह बात आप कैसे कहेंगे? इस वाक्य में कर्ता है आन्ना और तस्वीर केन्ता से मिलेगी इसलिए उनके नाम के साथ कारक 'नि' जोड़कर बनेगा 'केन्ता नि'। तो वाक्य होगा 'आन्ना वा केन्ता नि शाशिन् ओ मोराइमासु' यानी “आन्ना को केन्ता से तस्वीर मिलेगी”।

जब हमें उम्र या पद में अपने से बड़े व्यक्ति से कुछ मिल रहा हो तब क्रिया 'मोराइमासु' से अधिक विनम्र क्रिया 'इतादाकिमासु' का प्रयोग किया जाता है। अगर आप इस क्रिया का इस्तेमाल सीख लेंगे तो आपकी जापानी भाषा, सुनने में और भी अच्छी लगेगी।
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