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सेन्सेइ से पूछें

आदर व्यक्त करने के 'ओ' और 'गो' (पाठ 31)

जिस व्यक्ति को बात बताई जा रही हो या जिसका ज़िक्र बातचीत में आ रहा हो, उसके लिए आदर व्यक्त करने के लिए, उसके सम्बन्ध में इस्तेमाल हो रही संज्ञा या विशेषण के पहले 'ओ' या 'गो' लगाते हैं। जैसे 'शिगोतो' यानी “काम” में 'ओ' जोड़ने से बनता है 'ओशिगोतो' या 'गेन्कि' यानी “स्वस्थ” में 'ओ' जोड़ने से बनता है 'ओगेन्कि' या 'काज़ोकु' यानी “परिवार” में 'गो' जोड़ने से बनता है 'गोकाज़ोकु'। आमतौर पर संज्ञाएँ अपने साधारण रूप में होती हैं और उन्हें विनम्र बनाने के लिए उनमें उपसर्ग 'ओ' या 'गो' जोड़ा जाता है। लेकिन कुछ संज्ञाएँ ऐसी भी हैं जिनका इस्तेमाल हमेशा उपसर्ग के साथ ही करते हैं। जैसे इस पाठ में आए शब्द 'ओचा' यानी “चाय” और 'ओबाआसान्' यानी “दादी जी”।

दूसरी तरफ़ कुछ संज्ञाएँ ऐसी भी हैं जिनमें कभी 'ओ' या 'गो' नहीं जोड़ते। जैसे 'कामेरा' यानी “कैमरा” जैसे विदेशी भाषा से लिए गए शब्द।

तो अब सवाल यह उठता है कि कब 'ओ' लगता है और कब 'गो'। 'गो' उन संज्ञाओं से पहले लगाया जाता है जो मूल रूप से चीनी भाषा से ली गई हैं। अन्य सभी संज्ञाओं के पहले 'ओ' लगाते हैं। लेकिन यह समझना मुश्किल है कि कौन सा शब्द चीनी भाषा से लिया गया है और कौन सा मूल रूप से जापानी है। इसलिए एक-एक शब्द अलग से याद कीजिए।
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