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विशेषण का भूतकाल रूप (पाठ 19)
जापानी भाषा में विशेषण के दो प्रकार होते हैं - 'इ'-विशेषण और 'ना'-विशेषण। 'इ'-विशेषणों में शब्द की अन्तिम ध्वनि 'इ' होती है, जैसे विशेषण 'यासुइ' यानी “सस्ता”। और 'ना'-विशेषण में, जब विशेषण संज्ञा के तुरन्त पहले लगता है तब उसमें 'ना' जुड़ जाता है। जैसे 'सुकि' यानी “पसन्द होना”, बन जाएगा 'सुकिना'। यानी “पसन्दीदा मांगा” कहना हो तो जापानी भाषा में कहेंगे 'सुकिना मान्गा'। 'इ'-विशेषण का भूतकाल रूप बनाने के लिए अन्त का 'इ' हटाकर 'कात्ता' जोड़ते हैं। जैसे विशेषण 'यासुइ' यानी “सस्ता” का भूतकाल रूप होगा 'यासुकात्ता' या 'ताकाइ' यानी “महँगा” का भूतकाल रूप होगा 'ताकाकात्ता'। लेकिन, इस नियम का एक अपवाद है, जो हमने इस पाठ में सीखा। 'इइ' यानी “अच्छा” का भूतकाल रूप है 'योकात्ता' यानी “अच्छा था”। इसे याद कर लीजिए।'इ'-विशेषण के भूतकाल रूप का नकारात्मक रूप बनाने के लिए, वर्तमान काल रूप के अन्त में लगने वाले 'इ' को बदल दीजिए 'कुनाकात्ता' में। जैसे विशेषण 'यासुइ' यानी “सस्ता” से बनेगा 'यासुकुनाकात्ता' यानी “सस्ता नहीं था”। विशेषण 'इइ' यानी “अच्छा” से बनेगा 'योकुनाकात्ता' यानी “अच्छा नहीं था”।
दूसरी तरफ़, 'ना'-विशेषणों का भूतकाल रूप बनाने के लिए, विशेषण के अन्त में “दात्ता” जोड़ते हैं। जैसे विशेषण 'सुकि' यानी “पसन्द होना” का भूतकाल रूप होगा 'सुकि दात्ता' यानी “पसन्द था”। 'बेन्रि' यानी “सुविधाजनक” का भूतकाल रूप होगा 'बेन्रि दात्ता' यानी “सुविधाजनक था”।
'ना'-विशेषण के भूतकाल रूप का नकारात्मक रूप बनाने के लिए, विशेषण के अन्त में जोड़िए 'देवानाकात्ता'। तो, 'सुकि' यानी “पसन्द होना” से बनेगा 'सुकि देवानाकात्ता' यानी “पसन्द नहीं था”।